यह कहानी दिल्ली के एक ऐसे युवा की है जिसने सबसे अलग कुछ नया करने की कोशिश की। आपको यकीं नहीं होगा इस शख्स की एक मामूली सी सोच ने इन्हें आज करोड़ो रूपये की कंपनी का मालिक बना दिया। इनका आईडिया इतना दमदार था कि चार सालों के भीतर इनकी कंपनी ने दो लाख महीने की आमदनी से 50 लाख महीने की आमदनी तक का सफ़र तय कर लिया।
जी हाँ नई दिल्ली के रॉबिन झा ने सचमुच अपनी कंपनी के ज़रिये एक प्याली चाय में तूफान सा समा कर रख दिया है। इनके कंपनी की चौंकाने वाली सफ़लता के पीछे उनका चाय और नाश्ते का करोबार है।
आप सोच रहे होंगे की यह सड़क के किनारे कोई चाय के ठेले चलाने वाले की बात हो रही है पर आप गलत सोच रहे हैं; क्योंकि यह कोई मामूली से चाय के व्यापारी नहीं हैं। रॉबिन झा टी-पॉट के सीईओ हैं, जिनकी स्टार्ट-अप श्रृंखला पूरे दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में फैली हुई है।पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और विलय व अधिग्रहण कंपनी ‘एर्न्स्ट एंड यंग’ के साथ काम करने वाले रॉबिन ने कभी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का अनोखा और बढ़ने वाला काम करेंगे। रॉबिन ने साल 2013 में अपने नौकरी से बचाये पूंजी के 20 लाख रुपये से इसकी शुरुआत करी। उन्होंने अपने दोस्त अतीत कुमार और असद खान, जो खुद भी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, के साथ मिलकर दिल्ली के मालवीय नगर में एक चाय आउटलेट खोली। और कुछ ही दिनों में अप्रैल 2012 में अपने बिज़नेस को बड़ा करने के उद्येश से इन्होंने शिवंत एग्रो फूड्स नाम की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की। अपने दोस्तों के साथ विचार मंथन के बाद अपने व्यापार के लिए उन्होंने चाय के साथ ही आगे बढ़ने का फैसला किया।इनके पिता नरेंद्र झा जो बैंक मैनेजर है और माँ रंजना दोनों ही इनके इस बिज़नेस के खिलाफ थे और इसकी सफलता के प्रति आशंकित भी थे, लेकिन रॉबिन की दृढ-इच्छाशक्ति के आगे उन्हें भी झुकना पड़ा। अपने आईडिया के साथ आगे बढ़ते हुए इन्होंने बहुत सारे कैफ़े मार्किट के बारे में जानकारी हासिल की और उनकी मांग और आपूर्ति के बारे में भी खोजबीन की शुरू कर दी। इससे यह पता चला कि 85-90 फीसदी भारतीय केवल चाय ही पीते हैं और यही उनके बिज़नेस का आधार बना। टीपॉट एक ऐसा चाय का प्याला है जिसके साथ बहुत तरीके के नाश्ते शामिल हैं।
अपने अनुभव का इस्तेमाल कर रॉबिन ने चाय बागानों और दिल्ली के विभिन्न कैफ़े में चाय के विशेषज्ञों को ढूंढा। और आखिर में टी पॉट का जन्म मालवीय नगर के मेन मार्किट में स्थित एक 800 स्क्वायर फ़ीट के शॉप में हुआ। शुरुआत में केवल 10 लोग काम करने वाले थे और 25 तरह की चाय और कुछ जलपान के विकल्प रखे गए। रॉबिन अपने आगे के प्लान को सुधारने के लिए उपभोक्ताओं के विचार टेबलेट और पेपर के जरिये लिया करते थे। यह काम इन्होंने मालवीय नगर के अपने आउटलेट में पहले के तीन महीनों में किया। निष्कर्षों से पता चला कि उनके यहाँ जो ग्राहक आते हैं वह 25 से 35 साल की आयु वाले ज्यादा होते हैं और ऑफिस में काम करने वाले। यह सब समझ में आने पर रॉबिन ने ऑफिस के आसपास ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। इसी क्रम में उन्होंने अपना पहला ऑफिस आउटलेट 2014 में आईबीबो में खोला जो कि गुरुग्राम की एक बड़ी ऑनलाइन ट्रेवल कंपनी है। आज टीपॉट के 21 आउटलेट हैं जिसमे आधे तो दिल्ली एनसीआर के ऑफिस एरिया में हैं जैसे वर्ल्ड ट्रेड टावर, नोएडा और के.जी.मार्ग में और बाकी मार्किट, मेट्रो स्टेशन, इन्द्रा गाँधी इंटरनेशनल एयर पोर्ट में स्थित है। आज रॉबिन के टीपॉट में लगभग 6 दर्जन वर्गीकृत चाय की 100 से अधिक सारणी की सेवा दी जाती है। जैसे -ब्लैक टी, ओलोंग, ग्रीन, वाइट, हर्बल और फ्लेवर्ड।
इतना ही नहीं टीपॉट ने आसाम और दार्जीलिंग के पांच चाय के बागानों से टाई -अप भी किया है। टीपॉट आज देश की एक अग्रणी चाय-नाश्ता की कंपनी है जिसमे थाई, इटालियन और कॉन्टिनेंटल नाश्ते परोसे जाते हैं। इसके साथ-साथ कुकीज़, मफिन्स, सँडविचेस, वडा-पाव, कीमा पाव, रैप्स आदि सर्व किये जाते हैं। रॉबिन अपने टीपॉट की आईडिया के साथ साल 2020 तक 10 बड़े शहरों में लगभग 200 आउटलेट खोलने के लिए तैयार हैं।
रॉबिन के सफ़लता का सफ़र यह प्रेरणा देती है कि कोई भी आईडिया छोटा या बड़ा नहीं होता। बस हमें पूरी दृढ़ता के साथ अपने आईडिया पर काम करने की जरुरत है।
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