इस शख्स की सफ़लता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस दो कमरे के एक छोटे फ्लैट से इसने अपने करियर की शुरुआत की थी वह आज पुणे सिटी के एक बहुत ही प्रतिष्ठित जगह का रूप ले चुकी है। 150 स्क्वायर फ़ीट के एक छोटे से ऑफिस में जहाँ ये एक एसटीडी बूथ चलाते थे, वहीं आज इनका बिज़नेस 600 लोगों के स्टाफ के साथ 140 करोड़ का सलाना टर्नओवर कर रहा। है न काफी दिलचस्प?
जी हाँ यह कहानी है अरुण खरात की, जिन्होंने वक़्त और फल की चिंता किये बगैर दिन-रात एकजुट होकर काम किया और आज देश के एक नए उभरते उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई। अरुण ने एक छोटे से ऑफिस से एक फलता-फूलता और तेजी से बढ़ने वाला साम्राज्य खड़ा कर दिया, जिसके पीछे की सफ़लता और कड़ी मेहनत सचमुझ काफी प्रेरणादायक है। अरुण आज विंग्स ट्रेवल्स नाम की एक कार रेंटल कंपनी के संस्थापक हैं। बर्तमान परिदृश्य में एक ओर जहाँ भारत में कैब्स का कारोबार फैलता दिख रहा है वहीं नई-नई कंपनियों के आने से काफी प्रतिस्पर्धा का दौर भी चल रहा है। ऐसी परिस्थिति में भी अरुण का बिज़नेस भारत के मुख्य नौ शहरों में — मुम्बई, पुणे, गुडगाँव, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, बड़ोदा और थाईलैंड में है।यह कहानी शुरू होती है पुणे के एक छोटे से कस्बे खडकी से, जहाँ अरुण का जन्म और पालन-पोषण एक मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता छावनी बोर्ड में एक नागरिक स्वास्थ्य अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। दसवीं पास करने के बाद ही अरुण अपने अंकल की छोटी सी जूतों की दुकान में काम करने लगे। पर उनके मन में हमेशा अपना स्वयं का बिज़नेस करने का आईडिया था l कुछ दिन अंकल के साथ काम करने के बाद उन्होंने पुणे के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में तीन साल का डिप्लोमा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में किया।
जी हाँ यह कहानी है अरुण खरात की, जिन्होंने वक़्त और फल की चिंता किये बगैर दिन-रात एकजुट होकर काम किया और आज देश के एक नए उभरते उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई। अरुण ने एक छोटे से ऑफिस से एक फलता-फूलता और तेजी से बढ़ने वाला साम्राज्य खड़ा कर दिया, जिसके पीछे की सफ़लता और कड़ी मेहनत सचमुझ काफी प्रेरणादायक है। अरुण आज विंग्स ट्रेवल्स नाम की एक कार रेंटल कंपनी के संस्थापक हैं। बर्तमान परिदृश्य में एक ओर जहाँ भारत में कैब्स का कारोबार फैलता दिख रहा है वहीं नई-नई कंपनियों के आने से काफी प्रतिस्पर्धा का दौर भी चल रहा है। ऐसी परिस्थिति में भी अरुण का बिज़नेस भारत के मुख्य नौ शहरों में — मुम्बई, पुणे, गुडगाँव, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, बड़ोदा और थाईलैंड में है।यह कहानी शुरू होती है पुणे के एक छोटे से कस्बे खडकी से, जहाँ अरुण का जन्म और पालन-पोषण एक मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता छावनी बोर्ड में एक नागरिक स्वास्थ्य अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। दसवीं पास करने के बाद ही अरुण अपने अंकल की छोटी सी जूतों की दुकान में काम करने लगे। पर उनके मन में हमेशा अपना स्वयं का बिज़नेस करने का आईडिया था l कुछ दिन अंकल के साथ काम करने के बाद उन्होंने पुणे के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में तीन साल का डिप्लोमा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में किया।
हालांकि इंजीनियरिंग करने के बाद भी उनका दिल कही और ही था, वे अपने पिता की रॉयल एनफील्ड मोटरबाइक में बैठकर पूरी दुनिया घूमने का सपना लिए हुए थे वो भी नौकरी के बंधंन से दूर। बहुत सारी नौकरी छोड़ने के बाद अरुण ने एक छोटी सी दुकान में एसटीडी बूथ खोली और साथ ही साथ रेलवे टिकट बुकिंग का काम भी शुरू कर दिए। कुछ साल अच्छे से दूकान चलाने के बाद उन्होंने ख़ुद की सेविंग्स और बैंक लोन की मदद से एक कार खरीद ली और कार रेंटल का बिज़नेस शुरू किया। वे अपना पूरा समय अपने बिज़नेस को देने में लग गए। उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने स्टाफ ट्रांसपोर्ट सर्विस का प्रस्ताव स्वीकार किया। फिर उन्होंने ट्रैकमैल के साथ मिलकर काम किया और धीरे-धीरे विंग्स ट्रेवल्स पंख लगाकर परवान चढ़ता गया। और 2001 में इनकी कंपनी का टर्न ओवर एक करोड़ हो गया। जन इनकी कार रेंटल सर्विस काफी चलने लगी फिर इन्होनें मालिक चालक नाम की एक स्कीम चलाई, इसके तहत ड्राइवर 20-30 % तक पैसे लगाता है और विंग ट्रेवल्स अपनी गारंटी पर बाकि की कीमत बैंक से फिनान्स कराता है और तीन साल के बाद कार, ड्राइवर की खुद की हो जाती है। इसके साथ ही विंग्स ट्रेवल्स ने एक विंग्स सखी नाम की कैब शुरू की है जिसमें महिला ड्राइवर है। साथ ही विंग्स रेनबो नाम की कैब शुरू की है जिसमे समलैंगिक समुदाय के लोग ड्राइवर हैं।
2008 तक आते-आते उनकी कंपनी का टर्न ओवर बढ़कर 60 से 80 करोड़ हो गया। और 2015 तक उनकी कंपनी का टर्न ओवर 130 करोड़ से भी अधिक का हो गया। बुक माय कैब के अधिग्रहण से जल्द ही विंग्स ट्रेवल लगभग 47 शहरों में अपनी सर्विस दे सकेगी। और इसके साथ रेडियो टैक्सी की सेवा म्यांमार, थाईलैंड,और वियतनाम में भी यह अपनी जगह बना रहा है l